tag:blogger.com,1999:blog-66052054724587237022024-03-12T19:52:04.260-07:00"Zindagi- Ek Anchua,Ek Ankha Ehsaas..........!!!latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-13356209320475137772014-10-16T11:40:00.002-07:002014-10-16T11:40:22.370-07:00तलाश...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ना जाने आज कहाँ से फिर ये सोती हुई उंगलियां जाग उठी;<br />
जैसे बरसों बाद किसी ने आवाज़ दी हो इन्हे,<br />
इनके उठते ही एसा लगा जैसे कुछ बिखर गया था शायद अंदर;<br />
समेटने का वक़्त हुआ हो जैसे एक बार फिर ;<br />
तलाशती यूँ खुद को अंधेरों के बीच जैसे दूर एक उजाला नज़र आता हुआ<br />
वो एक रौशनी दूर कहीं टिमटिमाते तारे की<br />
जो ना जाने कब खो जाये इन बादलों के बीच, जैसे बस सहारा देने आया हो<br />
एक उम्मीद जगाने आया हो, कहता खो भी गया अगर खुद को ना खोने देना<br />
उठना फिर से तुम और ढढूंढना जो खो गया है कहीं<br />
वो मुस्कराहट जो खेलती थी इन होटों पर, वो शरारतें जो करती थी ये आँखे हर पल<br />
वो सपने जो जागती आँखों में मचलते थे, वो ख्वाशियें जो हर पल कुछ कर गुजरने का एहसास थी<br />
एक बार फिर से ज़िंदा होने दो वो सब अपने अंदर और<br />
एक बार फिर से निकलो एक नयी ज़िन्दगी की तलाश में एक नए खुद की तलाश में...</div>
latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-81386337365010344762010-01-08T11:25:00.000-08:002010-01-08T11:43:43.749-08:00सीख...खुशियों को ज़िन्दगी की समेटना सीखो,<br />नेमत को खुदा की सहेजना सीखो;<br />लाख रुकावटें आयें मजिल में तो गम नही,<br />पार कर उन दरियाओं को जंग जीतना सीखो;<br />क्या रुक जाता है इंसान गिरने पर कहीं,<br />गिर कर ज़मीन पर फिर उठाना सीखो;<br />उठकर चलो ऐसे की रास्ता तुम्हारा हो,<br />और झुकाने का, तूफानों से होंसला रखना सीखो;<br />कहते हैं ये ही सब ज़िन्दगी का सबक है यारों,<br /><span>तो इन्ही सबक से ज़िन्दगी जीना सीखो;</span><br /><span>कैसे करती है कुर्बान शमा-परवाने पे खुद को,</span><br /><span>अपने आपको अपने ख्वाबों पर कुर्बान करना सीखो;</span><br /><span>नहीं मिलता कुछ भी यहाँ इतनी आसानी से,</span><br /><span>पत्थरों को मोम में तब्दील करना सीखो;</span><br /><span>अभी तो लाखों इम्तेहान बाकी हैं देने,</span><br /><span>साख पर लटके हुये आखरी पत्ते से उम्मीद सीखो;</span><br /><span>जीत मिलेगी या हार ये तोह खेल है किस्मत का फिर भी,</span><br /><span>इस जंग से जीतने का ज़ज्ज्बा और हार मानना सीखो;</span><br /><span>होगी ही जीत एक दिन ये रज़ा है रब की तब तक,</span><br /><span>हर हार का जश्न जीत के जैसा मनाना सीखो....</span><br /><span>खुशियों को ज़िन्दगी की समेटना सीखो...!!!</span><br /><span></span>latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-41664488864853120732009-11-08T02:24:00.000-08:002009-11-08T02:31:22.999-08:00किसी....किसी के इतने पास न जा के दूर जाना खौफ़ बन जाए <br />एक कदम पीछे देखने पर सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये;<br />किसी को इतना अपना न बना कि उसे खोने का डर लगा रहे<br />इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये तु पल पल खुद को ही खोने लगे;<br />किसी के इतने सपने न देख के काली रात भी रन्गीली लगे<br />आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे;<br />किसी को इतना प्यार न कर के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाए <br />उसे गर मिले एक दर्द इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाए;<br />किसी के बारे मे इतना न सोच कि सोच का दैएरा सिर्फ़ उस तक सिमटने लगे<br />की हर एक सोच में सिर्फ़ वो ही वो नज़र आए;<br />पैर चाह किसी को इतना की तेरी चाहत तेरी ज़िन्दगी बन जाए<br />और कहें सब की प्यार तो बस तेरे जैसा किया जाए.....latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-70665899881249798282009-10-31T14:14:00.000-07:002009-10-31T14:26:50.218-07:00कुछ अधूरा साये मैं हूँ या मेरी ज़िन्दगी<br />कुछ उलझी-उलझी सी, कुछ बिखरी सी<br />जैसे किसी धोके में जी रही हूँ मैं<br />रिश्तों के ऐसे जाल में उलझी जिससे निकलने को<br />बाहर दिल नही करता पर दिमाग कहता है की<br />तोड़ दो ये बंधन छोड़ दो वो सब जो है ही नही तुम्हारा<br />इस दोराहे पैर खड़ी मैं बस सोचती रहती हूँ की<br />मैं क्या जो कर रही हूँ वो सही है या नही<br />अलग होना ही सही होगा या<br />फ़िर चलती रहूँ इन् झूठे नातों के साथ<br />निभाती रहूँ इनका साथ ओढे रहूँ ये चोंगा<br />पैर निश्चय तो करना ही होगा<br />छुटेगा किसी का साथ तो...<br />या तो मेरा ख़ुद मेरी परछाई से<br />या दमन कुछ रिश्तों का....<br />पर हार वो तो सिर्फ़ मेरी ही होगी ना !!!latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-55587336130741295212009-10-03T13:51:00.000-07:002009-10-03T14:31:09.114-07:00आवाज़.....दिल के किसी कोने में एक आवाज़ दफन है<br />मेरी ही तरहे खामोश निगाहों से घूरती हुई,<br />इस आसमान को;<br />जहाँ रौशनी लिए टीमटिमा रहे हैं हजारों तारे<br />रोज़ इन ही हजारों तारों को देखकर,<br />ये दफन आवाज़ भी कभी-कभी कुछ बोलना चाहती है;<br />कुछ बताना चाहती है मुझे मेरे ही बारे में,<br />या तारुफ करवाना चाहती है मुझसे ही मेरा;<br />या शायद अपनी खामोशी को तोड़ना चाहती हैं<br /><span style="font-size:0;"></span>इन आकाश के तारों की तरहें टिमटिमाना चाहती हैं,<br />शायद यह भी इसकी ऊँचाइयों को छूना चाहती हैं<br />ये भूल कर की वो एक सपने जैसा है;<br />वहाँ पहुँचाना बहुत कठिन है बहुत मुश्किल<br />रास्ता लंबा और मुश्किलों से भरा है,<br />लेकिन जब इस जंग का आगाज़ हो ही चुका है<br />तो देखते हैं की अंजाम क्या होगा.....latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-6125357713670035162009-08-31T21:22:00.001-07:002009-10-08T06:31:44.569-07:00प्रजातंत्र<p>"क्या होता जा रहा है आज हमारे प्रजातंत्र को"? ये देश के नेता जिनके हाथों में इस देश की कमान है, क्यों वो इस बात से अनजान है, की ये सब जनता उनको देखकर बहुत हैरान परेशान है....."</p><p><span>आज जहाँ ज़रूरत है एक बार फ़िर हमें एक साथ खड़े होने की तो ये लड़ रहे है " जिनाह- पटेल " के नाम पर। सब मसरूफ है "जसवंत सिंह" को गिराने- उठाने में, तो कोई लगा है "बीजेपी" की छवि सुधारने में। अरे ज़रा कोई ये पार्टी-नेता किताब-सरकार-स्वतंत्रता छोडकर ध्यान दे की देश की हालत क्या है। कहने को ये सब देश के रखवाले है पर क्या किसी को भी पता है की "स्विने फ्लू' क्या बाला है ?????</span></p><p><span> आई कहाँ से,कब,क्यों, और कितनो को अपना शिकार बना चुकी है... इन नेताओं में से किसी को भी ये पता है की हमारे देश में कितने केसेस है और कितनी जाने जा चुकी है ??? इन्हें पता है की हमारे देश में अभी तक "सुवैन फ्लू की दवाई" बुक तक नही की गई है...अमेरिका जिसकी नक़ल हम उतरने में कभी पीछे नही रहते उसने कितना स्टॉक करवा लिया है...?????? </span></p><p><span>इस ही बात में </span><span>हम उनकी नक़ल करने में पीछे क्यों रह गए॥??? आज जिन "जिनाह-पटेल" और "स्वतंत्रता" के लिए ये नेता लड़ रहे है उनसे जाके कोई कहे की वो तो मर चुके हैं लेकिन जो जिन्दा है उनकी तरफ़ भी ध्यान दे दिया जा सकता है....और रही बात "स्वतंत्रता" की तो वो तभी जिंदा रहेगी जब उसके नागरिक खुशाल और जिंदा रहेंगे...आवाज़ दी जाए "सोनिया-राहुल प्रियंका-वरुण" को, "राज ठाकरे-अमर सिंह" को, हमारे समाज और देश को उन नेताओं को जिन्हें बाकी सारे मामले याद होते हैं, चुनाव से लेकर बैंक बैलेंस, मन्दिर से लेकर स्कूलों तक, शादी में नाचने से लेकर महारास्त्र और दूसरे प्रदेश' के लोगों को अलग करने में...कहाँ है आज वो सब लोग....?????? ये सब जो चुनाव के वक्त हर छोटे-बड़े गाँव में होते हैं लेकिन आज शायद "सुवैन फ्लू' के डर से अपने अपने घरों में छुपकर बैठे हैं..... </span></p><p><span>अरे हमारे देश के कर्मठ नेताओं ख़ुद जागो और जगाओ....</span></p><p><span>हमारे यहाँ तुम्हें पार्लियामेन्ट में सामने सिर्फ़ एक दूसरे पैर इल्जाम लगाने के लिए ही नही बैठाया जाता पर जो काम सरकार करना भूल जाए उन्हें याद दिलाये की उन्हें ये भी करने की ज़रूरत है......</span></p><p><span>जब तक इनके आपसी झगडे निपटेंगे, तब तक इस देश का क्या होगा"????? कोई चिलाओ-चीखो और इन के कानों तक आवाज़ पहुँचाओ .....</span></p><p><span>आज ज़रूरत है हमारी "फिल्मी दुनिया" के उन चहेते सितारों को आगे आने की जो "शाहरुख़ खान" की चेक्किंग पर तो इन्तेर्विएव देने के लिए आगे आजाते हैं मगर जिसके लिए आगे आने की ज़रूरत है उसे दरकिनार केर बैठे हैं....</span></p><p><span>क्या यही हाल होगा हमारे देश का, या हालत और हालात दोनों और भी ख़राब होने अभी बाकी हैं ??????????</span></p><p><span> "सोचिये और जागिये"................................!!!</span></p>latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-31251349620749594012009-07-13T12:05:00.000-07:002009-07-13T12:12:17.694-07:00तलाश- जिंदगी की.............ये जिंदगी भी एक अजीब पहेली है,<br />कभी गैर तो कभी लगती सहेली है;<br />मन् कभी पागल पंछी सा डोलता है,<br />तो कभी शांत सागर सा लगता है;<br />जाने क्या-क्या छुपा है इस दिल में,<br />ढूंढे जाने हर पल किसे हर "सू" में;<br />ना जाने कहाँ जाके रुकेगी ये "तलाश",<br />और लौट आएँगी ये खिशियाँ मेरे पास;<br />कहाँ कब कैसे मिलेगी मुझे ये मंजिल,<br />जिसे धुन्धुं मैं जैसे मौज को ढूंढे साहिल;<br />मैं भी उसको धुन्धुं हरदम,<br />ते है मेरा दीवानापन;<br />जिंदगी भी एक अजीब पहेली है,<br />कभी गैर तो कभी लगती सहेली है....!latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-60857888019656417502009-07-12T16:29:00.001-07:002009-07-13T11:40:23.478-07:00"नई रोशनी".........बात सदियों पुरानी है,जब हम अपने देश को "सोने की चिडिया' के नाम से जानते थे...पर आज वो ही चिडिया एक दिखावे मात्र क सिवाए कुछ नही रह गई है।<br /> माना की हमारे देश ने अपनी आज़ादी के ६२ सालों में बहुत तरक्की की है, लेकिन इस तरक्की के साथ-साथ हमारी मानसिकताएं और प्राथमिकताएं, सब कुछ संकीर्ण हो चुकी हैं। पहले जहाँ हम कभी सिर्फ़ अपने लिए नही अपितु "संपूर्ण देश" के लिए सोचते थे, अब वह "संपूर्ण" सिर्फ़ "मैं" में बदल चुका है।<br />हम कहते हैं की आज भी हमारे आदर्श "महात्मा गाँधी", "जवाहरलाल नेहरू", "सुभाष चन्द्र बोस", "सरोजिनी नायडू", " इंदिरा गाँधी" आदि हैं लेकिन अपने ह्रदय से हम हम सभी को ज्ञात है की ये महज़ एक धोका है जो हम अपने आप को दे रहे हैं। हम बचपन से सुनते आए है की "हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई" सब आपस में भाई- भाई,<br /> लेकिन १५१ साल पहले अंग्रेजों ने जिस धर्म के नाम पर राज किया था, समाज के चाँद ठेकेदारों ने कभी अपनी कुर्सी की खातिर तो कभी अपनी जेब गर्म करने के लिए, कभी अपने स्वार्थ के लिए तो कभी अपने नाम के लिए इसी फार्मूले को भुनाया;<br />लेकिन अब और नही इस वक्त हमारे देश को ज़रूरत है एक और "गाँधी" की जो हमारी नई पीढी का मार्गदर्शन करा सके तो एक और "भगत सिंह" और "राजगुरु" जैसे लोगों की जो ज़रूरत पड़ने पर हथियार उठाना सिखा सकें। मगर इन सब के लिए हमें किसी और का इंतज़ार नही करना है, बल्कि सब कुछ हमें ही करना होगा। हम में से ही किसी एक को "गाँधी" तो किसी एक "भगत सिंह" बनना होगा ताकि हम अपने देश को एक बार फिर इस समाज के उन चाँद ठेकेदारों से आजाद करा सके जो अपने स्वार्थ के लिए इस देश को बेचने से भी नही चूकेंगे।<br /> आज ज़रूरत है इस देश की युवा पीढी को एक "नई रोशनी" की और इस "नई रौशनी" की मशाल को जलाये रखने की, जो हमारे साथ-साथ( हमारी युवा पीढी के साथ-साथ) हमारे देश को भी अपनी इस "नई रोशनी" से जगमगा दें।<br /> तो आइये मिलते हैं हाथ से हाथ ऐसे की ये हाथ,ये सरगम,ये संगम कभी न टूटे...........!!!latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-70288360200587539822009-07-12T16:07:00.000-07:002009-07-12T16:25:38.842-07:00आप...क्या लिखूं मैं आपके बारे में,<br />कभी खुली किताब, तो कभी अनसुलझी पहेली सी लगते है आप ;<br />मेरे लिया तो एक शीतल छाँव से आप,<br />तो कभी शांत झील से उदास;<br />कभी कभी लगते जैसे हों मेरे पास,<br />तो कभी लगता जैसे चलें साथ साथ;<br />मेरे हर सपने को रंगीन बनते हैं आप,<br />और हर चीज़ से प्यारा है आपका एहसास;<br />बढ़ते हैं हाथ देने को सहारा,<br />जब भी भूलूं मैं किनारा;<br />कैसे कहूँ मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं आप,<br />ऊपरवाले वहां धरती पर मेरे भगवान् हैं आप;<br />और जब देते मुझे अपने ज्ञान का उजाला,<br />तब अपने ही नाम "राकेश" से "रोशन" लगते हैं आप............!!!latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-70690265927955760952009-07-12T15:32:00.000-07:002009-07-12T16:28:14.364-07:00कुछ खवाबआचानक से आज हमें ये ख़याल आया,<br />की ऊपरवाले ने हमें क्यूँ है बनाया;<br />कोई मकसद ख़ास है या फ़िर,<br />यूँ ही हमें ये रास्ता है दिखाया;<br />और हम भी चल पड़े,<br />ढूँढ़ते अपनी अनजानी मंजिल की और;<br />पूरा करते अपने मकसद को,<br />कुछ अनकहे अधखिले खवाबों को;<br />है माना अपना पूरा जहाँ जिनको;<br />ख्वाब जो है कुछ नाज़ुक कुछ बेचैन से,<br />तो कुछ हँसी कुछ अनमने से;<br />कुछ जो देखे बंद आंखों से,<br />तो कुछ देखे है जागते से;<br />पाना है उनको बस अब तो इतना याद है,<br />और चलने को मुसाफिर भी तैयार है;<br />ख्वाब होंगे पूरे एक दिन है यकीन हमें,<br />मंजिलें मिलेंगी जहाँ वो रास्ते अब है हमारा रास्ता तकते हुए...............................latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-39224955143130832232009-06-27T13:48:00.000-07:002009-06-27T13:56:04.611-07:00क्यूँ.....................???लोग इतने अच्छे होते हैं क्यूँ<br />मिलकर फ़िर बिचड जाते हैं क्यूँ;<br /><span class="">जाना होता है उनको अगर </span><br /><span class="">तो दूसरो की ज़िन्दगी महकाते हैं क्यूँ;</span><br /><span class="">कहते हैं इसका नाम ज़िन्दगी है मगर </span><br /><span class="">बीच भंवर छोड़ अलग हो जाते हैं क्यूँ;</span><br /><span class="">डर था अगर तो पहले बता देते </span><br /><span class="">की साथ देने का वादा किया था क्यूँ;</span><br /><span class="">औरों की खातिर हमको भुला दिया</span><br /><span class="">कहना तो था, प्यार की सज़ा इंतज़ार है क्यूँ;</span><br /><span class="">चलो कभी तो एहसास उनको भी होगा</span><br /><span class="">की हम उन्हें इतना चाहते थे क्यूँ.............................!</span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span>latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6605205472458723702.post-4755113340776209602009-06-27T13:29:00.000-07:002009-06-27T13:47:52.388-07:00zindagi....!जिंदगी जाने क्या-क्या रंग दिखाती है<br />कभी हंसती है तो कभी रुलाती है,<br /><span class="">कभी इन आंखों को रंगीन खवाब दे जाती है</span><br /><span class="">तो कभी हजारों खुशियाँ बन बिक्हर जाती है,</span><br /><span class="">कभी किसी रंगीन एहसास सी लगती है</span><br /><span class="">तो कभी-कभी संग अपने तूफ़ान भी ले आती </span><span class="">है,</span><br /><span class="">ये तूफ़ान जो सब कुछ बदल जाते हैं</span><br /><span class="">अपने संग माजी की यादें भी दे जाते हैं,</span><br /><span class="">कभी तो इंसान को जीने के लाखों मकसद दे जाती है</span><br /><span class="">तो कभी-कभी हर मकसद कहीं ले जाती है,</span><br /><span class="">जाने क्या-क्या ये जिंदगी करवाती है</span><br /><span class="">कभी हंसती है तो कभी रुलाती है,</span><br /><span class="">जिंदगी क्या-क्या खेल खिलाती है</span><br /><span class="">कभी हंसती है तो कभी रुलाती है.......................!</span><br /><span class=""></span>latika chamolihttp://www.blogger.com/profile/17087678443762331897noreply@blogger.com0