लोग इतने अच्छे होते हैं क्यूँ
मिलकर फ़िर बिचड जाते हैं क्यूँ;
जाना होता है उनको अगर
तो दूसरो की ज़िन्दगी महकाते हैं क्यूँ;
कहते हैं इसका नाम ज़िन्दगी है मगर
बीच भंवर छोड़ अलग हो जाते हैं क्यूँ;
डर था अगर तो पहले बता देते
की साथ देने का वादा किया था क्यूँ;
औरों की खातिर हमको भुला दिया
कहना तो था, प्यार की सज़ा इंतज़ार है क्यूँ;
चलो कभी तो एहसास उनको भी होगा
की हम उन्हें इतना चाहते थे क्यूँ.............................!
Saturday, June 27, 2009
zindagi....!
जिंदगी जाने क्या-क्या रंग दिखाती है
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है,
कभी इन आंखों को रंगीन खवाब दे जाती है
तो कभी हजारों खुशियाँ बन बिक्हर जाती है,
कभी किसी रंगीन एहसास सी लगती है
तो कभी-कभी संग अपने तूफ़ान भी ले आती है,
ये तूफ़ान जो सब कुछ बदल जाते हैं
अपने संग माजी की यादें भी दे जाते हैं,
कभी तो इंसान को जीने के लाखों मकसद दे जाती है
तो कभी-कभी हर मकसद कहीं ले जाती है,
जाने क्या-क्या ये जिंदगी करवाती है
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है,
जिंदगी क्या-क्या खेल खिलाती है
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है.......................!
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है,
कभी इन आंखों को रंगीन खवाब दे जाती है
तो कभी हजारों खुशियाँ बन बिक्हर जाती है,
कभी किसी रंगीन एहसास सी लगती है
तो कभी-कभी संग अपने तूफ़ान भी ले आती है,
ये तूफ़ान जो सब कुछ बदल जाते हैं
अपने संग माजी की यादें भी दे जाते हैं,
कभी तो इंसान को जीने के लाखों मकसद दे जाती है
तो कभी-कभी हर मकसद कहीं ले जाती है,
जाने क्या-क्या ये जिंदगी करवाती है
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है,
जिंदगी क्या-क्या खेल खिलाती है
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है.......................!
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