Sunday, November 8, 2009

किसी....

किसी के इतने पास न जा के दूर जाना खौफ़ बन जाए
एक कदम पीछे देखने पर सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये;
किसी को इतना अपना न बना कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये तु पल पल खुद को ही खोने लगे;
किसी के इतने सपने न देख के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे;
किसी को इतना प्यार न कर के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाए
उसे गर मिले एक दर्द इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाए;
किसी के बारे मे इतना न सोच कि सोच का दैएरा सिर्फ़ उस तक सिमटने लगे
की हर एक सोच में सिर्फ़ वो ही वो नज़र आए;
पैर चाह किसी को इतना की तेरी चाहत तेरी ज़िन्दगी बन जाए
और कहें सब की प्यार तो बस तेरे जैसा किया जाए.....