किसी के इतने पास न जा के दूर जाना खौफ़ बन जाए
एक कदम पीछे देखने पर सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये;
किसी को इतना अपना न बना कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये तु पल पल खुद को ही खोने लगे;
किसी के इतने सपने न देख के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे;
किसी को इतना प्यार न कर के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाए
उसे गर मिले एक दर्द इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाए;
किसी के बारे मे इतना न सोच कि सोच का दैएरा सिर्फ़ उस तक सिमटने लगे
की हर एक सोच में सिर्फ़ वो ही वो नज़र आए;
पैर चाह किसी को इतना की तेरी चाहत तेरी ज़िन्दगी बन जाए
और कहें सब की प्यार तो बस तेरे जैसा किया जाए.....
wah kya jajbaat h..... ati uttam..... mann me anand ras ki anubhuti huyi...... kitni sach h in panktiyo me...... ati uttam
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
ReplyDeletepls visit........
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